“आस्था” कहने के लिए
कितना छोटा सा शब्द , लेकिन इसी एक छोटे से शब्द में पूरा का पूरा संसार छुपा हुआ
हैं | इस छोटे से शब्द में इतनी शक्ति है जो किसी भी इन्सान के सभी कष्टों को मिटा
देता हैं इसकी ताकत से सभी इसके द्वार पर खिचे चले आते हैं | इस शब्द में इतनी
शक्ति हैं की रातों रात एक अलग शहर संगम नगरी में बसा देता हैं | शायद इतनी शक्ति
हमारे सुपर कंप्यूटर में भी न हो क्योकि उसमे भी हमें कुछ करने के लिए अपना देमाग
लगाना पड़ता है लेकिन इसमें तो सब बस अपने मन से ही खिचे चले आते हैं | इस आस्था के
शहर में सब अपने आपको उस सर्वशक्तिमान के हवाले कर देते हैं की अब बस वो ही उनकी
जिंदगी का फैसला करे और उन्हें सही रास्तें दिखाए | इस आस्था के शहर में सभी एक बराबर होतें हैं ना
कोई छोटा और ना ही कोई बड़ा | और सबसे बड़ी बात की इस आस्था के शहर में कोई भी भूखा
नहीं सोता भले ही वो गरीब हो, उसके पास पैसे ना हों लेकिन उसे दोनों समय खाना जरुर
मिलेगा | उन गरीबों के लिए रहने, सोने और साथ ही साथ मेडिकल की भी व्यवस्था बिना
कोई भी पैसा लिए की जाती हैं | इस आस्था शब्द में इतनी ताकत है की यह कई लोंगो को
अपना पेट पलने के लिए इस शहर में रोजगार भी उपलब्ध करता हैं | इस शब्द की बात ही
निराली हैं पहले जहाँ रेत ही रेत थी वंहा एक ऐसी नगरी बसा दी जिसे देखकर लोग
दांतों तले अपनी उंगलिया दबा ले | एक ऐसी नगरी जिसकी रौशनी को अंतरिछ से भी देखा
जा सके, जहाँ कभी भी लाइट नहीं कटती, जहाँ चोरी नहीं होंती, जहाँ सभी भक्ति भावना
में लिप्त होकर प्रभु को याद करते रहतें हैं, जहाँ चारों तरफ एक ऐसी शांति जो आपको
सुख प्रदान करें | ऐसे शहर की कल्पना भी कर पाना मुश्किल हैं लेकिन “आस्था” जैसे
एक शब्द ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया हैं जो की अदभुद और हैरतंगेज हैं |
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