आप ने किस्से कहानिया तो
जरुर सुनी होंगी जिसमे बुराई पर अछाई की जीत होती हैं जहाँ अंधकार, बुराई का और
दुःख का प्रतीक हैं वहीँ अछाई, रौशनी का और आस्था का प्रतीक हैं | आप को कैसा
लगेगा जब आप एक ऐसी जहग पहुँच जाये जहाँ पर अँधेरा ही ना हो चाहे दिन हो या फिर
रात और हर तरफ ढेरो आदमियों का काफिला आस्था में डूबा हुआ ही दिखाई दें | हर तरफ
रौशनी ही रौशनी हो जहाँ रेत पर एक सुई भी खोजने में खासा दिक्कत ना हो | जहाँ दिन
में सूर्य की रौशनी प्रकाश की ज्योत जलाती हैं वहीँ रात में बिजली विभाग की तरफ से
लगाये गए बिजली के खम्भे | लोगो का मानना है की ऐसी जगह केवल सपनो में हो सकती है
या फिर ध्रुवीय प्रदेशो में जहाँ वर्ष के छ: महीने तक सूर्य निकला रहता हैं, जी
नहीं ! इलाहाबाद नगरी को भी यह मौका मिलता हैं जब कुम्भ मेला लगता हैं | इस बार
इलाहाबाद में लगे कुम्भ मेले में बिजली विभाग ने सबसे उम्दा काम किया था | विभाग
ने ११ करोड़ रुपये खर्च करके मेले में आये सभी लोंगो को रौशनी प्रदान कर उनके आस्था
को और भी मजबूत कर दिया | जिसकी वजह से दिन हो या फिर रात लोग अपना काम बिना रुके
कर रहे थें | रौशनी की ही वजह से आखाड़ो में पूजन करने वाले साधू सन्यासियों को
किसी भी प्रकार की दुविधा उत्पन्न नहीं हुयी | महाकुम्भ मेले में लगे हुए बीस हज़ार
खम्भे पुरे के पुरे मेला क्षेत्र को एक अविस्मरनीय रोशिनी से जगमगा रहे थें, जिसे
देख ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो जैसे स्वयं देवलोक ज़मी पे उतर आया हो और अभी माँ
गंगा, जमुना और सरस्वती तीनो उठ खड़ी होंगी अपने बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए |
यही वो रौशनी थी जो आस्था की हर एक किरण को खुद में पिरोकर लोंगो तक पहुंचा रहीं
थीं | जिस किसी की भी नज़र इस रौशनी की तरफ गई वो मनो थम सा गया हो और उसकी निगाहे
बस यहीं कह रहीं हो की बस आज देख लेने दो.......... जी भर के | क्या पता कल ऐसी
रौशनी का अलोकिक नज़ारा देखने को मिले या न मिले | कुम्भ मेले में फैली चारो ओर रौशनी की जगमगाहट
ने सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया | हर कोई इस जगमगाहट भरी रौशनी में खुद की
परछाई को देखने की इच्छा लिए चला आ रहा था..........बस चला आ रहा था | इस जगमगाहट की रौशनी इतनी थी की नासा के
वैज्ञानिक भी खुद को रोक नहीं पाए और मोड़ दिया सैटैलाइट को इलाहाबाद की ओर | जिसने
भी इस रौशनी को देखा वो इस रौशनी का कायल हो गया |
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